कबीर दास जी के दोहे

404 भाग

24 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

न गुरु मिल्या ना सिष भय, लालच खेल्या डाव दुनयू बड़े धार में, छधी पाथर की नाव।।  ...

अध्याय

×