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हरिहरपुरी की कुण्डलिया जननी जग की एक बस, भाव एक अनुराग । केवल जग का ख्याल कर,देती सब कुछ त्याग।। देती सब कुछ त्याग, सिर्फ सेवा ही जीवन। रहता है उत्साह, ...