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हरिहरपुरी के दोहे होनी को टाला नहीं, जा सकता है मीत ।। होनी पर अफसोस के, लिखना कभी न गीत।। होनी ईश-विधान है,होनी को स्वीकार। इस अवश्य परिणाम को,कभी नहीं धिक्कार।। ...