हरिहरपुरी की कुण्डलिया

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हरिहरपुरी की कुण्डलिया काया अपनी तोड़ कर,करते रह अभ्यास। सकल मनोरथ सिद्धिप्रद, केवल सघन प्रयास। केवल सघन प्रयास, सफलता का है साधन। करते जाओ कर्म, लगा दो अपना तन-मन।। कहें मिसिर ...

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