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मिसिर कविराय की कुण्डलिया आ जा आँखों में बसो, पुतली बन कर नाच। जगती के हर दृश्य को, देख-देख कर वाच।। देख-देख कर वाच, बताओ मुझ को जमकर। मुझे अनाड़ी जान, ...