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मिसिर कविराय की कुण्डलिया बोलो इतने प्रेम से, टपके अमृत बूँद। सुनकर मधुरिम वचन को,करे नृत्य सब कूद।। करे नृत्य सब कूद, मस्त हो जीवन सारा। हिय में बसे पहाड़, स्नेह ...