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मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया काटो मूल प्रवृत्ति को,बढ़ो शिखर की ओर। ऊर्ध्व चाल चलते रहो, पकड़ ज्ञान की डोर।। पकड़ ज्ञान की डोर, महारथ हासिल करना। महापुरुष का भाव,स्वयं में भरते ...