कबीर दास जी के दोहे

404 भाग

23 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

हरी सांगत शीतल भय, मिति मोह की ताप निशिवासर सुख निधि लाहा अन्न प्रगत आप्प।।  ...

अध्याय

×