कबीर दास जी के दोहे

255 भाग

43 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

कबीरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा कई सेवा कर साधू की, कई गोविन्द गुण गा।।  ...

अध्याय

×