डॉ०रामबली मिश्र कविराय की कुण्डलिया

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नाना निधि अरु भोग सब, दिखते जग में व्यर्थ। मालुम होय अगर नहीं,प्रिय जीवन का अर्थ।। प्रिय जीवन का अर्थ, निहित है पावन मन में। सुंदर सुखद विचार,विपुल धन भीतर तन ...

अध्याय

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