मिसिर महराज की कुण्डलिया

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मिसिर महराज की कुण्डलिया शोषण करना पाप है, शोषण अत्याचार। अनाचार व्यभिचार में, शोषण की तलवार।। शोषण की तलवार, काटती बनी अमानुष। पीती श्रम का खून, बहकती बनकर मानुष।। कहें मिसिर ...

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