हरिहरपुरी की कुण्डलिया

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हरिहरपुरी की कुण्डलिया बनना सीखो प्रीति रस, सभी करें रसपान। डूबें गहरे सिंधु में, करें अनवरत स्नान।। करें अनवरत स्नान, पाप सारा धुल जाये। मिटे सकल अवसाद, शक्ति काया में आये।। ...

अध्याय

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