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हरिहरपुरी की कुण्डलिया बनना इक इंसान शिव, हो मन में कल्याण। संशोधित कर स्वयं को, बसे सभी में प्राण।। बसे सभी में प्राण, जगत को दे दो जीवन। सब को करो ...