मिसिर कविराय की कुण्डलिया

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मिसिर कविराय की कुण्डलिया सजता जो है मूल्य से, वही रूप की खान। परम अलौकिक मूल्य धर, बनता मनुज महान।। बनता मनुज महान, सत्य शिव सुंदर बनकर। चरैवेति का पाठ ,सिखाता ...

अध्याय

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