मिसिर बाबा की कुण्डलिया

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मिसिर बाबा की कुण्डलिया सोचा जो पाया नहीं,पाया अपना भाग। लिखे भाग में अंततः, रख सच में अनुराग।। रख सच में अनुराग, लिखा है जो किस्मत में। क्रिया-कर्म-सम्मान, छिपे हैं निज ...

अध्याय

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