मिसिर बलिराम की कुण्डलिया

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मिसिर बलिराम की कुण्डलिया छाया बनकर जो चले, वह है दिव्य महान। सुख देने को धर्म वह, समझत सभ्य सुजान।। समझत सभ्य सुजान, जगत को अपना परिजन। रखता सब का ख्याल, ...

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