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डॉ०रामबली मिश्र की कुण्डलिया जितना तुम से हो सके, उतना कर तुम काम। घबड़ाकर कुछ मत करो, क्रमशः पहुँचो धाम।। क्रमशः पहुँचो धाम, करो अभ्यास निरन्तर। करते रहो प्रयास, धीरता से ...