कबीर दास जी के दोहे

404 भाग

45 बार पढा गया

2 पसंद किया गया

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।। अर्थ : इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ करने वाला सूप होता है ...

अध्याय

×