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मिसिर कविराय की कुण्डलिया साधन यह तन धाम है,यही मोक्ष का द्वार। करो इसे संपुष्ट अति, पहुँच सिंधु उस पार।। पहुँच सिंधु उस पार, देख अलौकिक दृश्य नित। होय सदा मन ...