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मिसिर कविराय की कुण्डलिया कहना मेरी मान कर, पढ़ ईश्वर का पाठ। सदा चेतनाशील हो, मत बन जड़वत काठ। मत बन जड़वत काठ, हृदय में प्रेम जगाओ। जग को अपना मान, ...