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जीवन की होली (दोहे) जीवन को होली समझ, सतत काटना पाप। जीवन को रंगीन कर, निष्कलंक निष्पाप।। पापों की होली जले, पापी का संहार। पुण्यजड़ित मन का सदा, होय दिव्य विस्तार।। ...