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डॉ०रामबली मिश्र की कुण्डलिया तेरे भीतर खोजता, रहता हूँ देवत्व। सब से ऊपर है वही, जिस में हो मनुजत्व।। जिस में हो मनुजत्व, वही मानव कहलाता। रखता सब का ख्याल, हृदय ...