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प्रलय चालीसा दोहा- प्रलय दुःखद दारुण सदा, करता सत्यानाश। सकल सृष्टि को नष्ट कर, पहुँचाता आकाश।। चौपाई- प्रलय खड़ा हो ताक रहा है। कण-कण में वह झाँक रहा है।। लगा रहा ...