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मिसिर बलिराम की कुण्डलिया माथा झुकने दो नहीं, कर सब से संवाद। स्वर्णिम भावों से करो, मानव को आवाद।। मानव को आवाद, रहें सब मिलजुल जग में। मने सभी का खैर, ...