हरिहरपुरी की कुण्डलिया

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हरिहरपुरी की कुण्डलिया नाता सब के साथ हो, दुनिया नातेदार। नातेदारी की प्रथा, का कर नित विस्तार।। का कर नित विस्तार, सहज बन जीते रहना। सब के प्रति मृदु भाव,हृदय में  ...

अध्याय

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