मिश्रा कविराय की कुण्डलिया

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मिश्रा कविराय की कुण्डलिया साधो अपने आप को, देख सत्य आदर्श। आदर्शों की साधना, से संभव उत्कर्षा।। से संभव उत्कर्ष,मनुज बनता गुणकारी। करता जनकल्याण, बना सब का हितकारी।। कहत मिश्रा कविराय, ...

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