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डॉ०रामबली मिश्र की कुण्डलिया चलना जिसको आ गया, वही बना इंसान। जो चलना नहिं चाहता, वही दनुज हैवान।। वही दनुज हैवान, किसी को नहीं सेटता। टेरत अपना राग, स्वयं में रहत ...