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मिश्रा कविराय की कुण्डलिया रमता योगी दे रहा, मानव को सन्देश। भ्रमण करो चारों तरफ, धर निर्मल परिवेश।। धर निर्मल परिवेश, बनो सबका कल्याणी। नहीं राग नहिं द्वेष, बनो अति पावन ...