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कविता ःसाथ- साथ नीलगगन में उड़ते पंछी करे उन्मुक्त विहार गहरे नीले समंदर में करते जल चर आनंद विहार हरियाली संग झूमते मधुर बयार बाती की कांपती लौ संग साथ देता ...