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मिश्रा कविराय की कुण्डलिया सच्चा मानव है वही,जहाँ न विषय-विकार। सब के प्रति सद्भावना, से करता व्यवहार।। से करता व्यवहार, हृदय से सुंदर पावन। करता दिल से प्रेम,लगत है ...