कविता ःः बेइंतहा

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कविता ःबेइंतहा ★★★★★★★★ इश्क है हमें तुमसे बेइंतहा... न आरजू न जुस्तजू और न ही कोई अल्फाज में हम तुम्हें सिमटने देंगे तुम साँसें हो मेरी... और धड़कन भी... तुम्हारी परछाईं ...

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