मिश्रा कविराय की कुण्डलिया

281 भाग

263 बार पढा गया

6 पसंद किया गया

मिश्रा कविराय की कुण्डलिया पावन हिय को साजिये,रहे विश्व के साथ। आशा दे करता रहे,जग को सदा सनाथ।। जग को सदा सनाथ, रहे संसार सुखारी। रहें सभी खुशहाल, दिखे ना जगत ...

अध्याय

×