कविता ःःविरोध

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कविता ःविरोध ★★★★★★★ आज विरोधाभास है हवाओं में बहुत ही शोर मची है फिजाओं में हर सही बात का विरोध करना अपनी ही परंपराओं का अपमान करना नीति के विरुद्ध कर्म ...

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