करो विरोध गलत का!

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कब से सुनते चले आ रहे हो, कब से सहते चले आ रहे हो; क्या मिलता है आखिर बताओ आज बर्दाश्त की हद तक क्यों, चुप रहते चले आ रहे हो? ...

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