अपना साया

9 भाग

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कविता अपना साया राजीव कुमार झा बेकरार सब हो गये फासले सिमटते हुए करीब आकर हम खो गये बेतकल्लुफी की बातें तुम अक्सर करती रही यादों का सिलसिला सिमटता चला जाता ...

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