किताबों क दुनिया

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किताब हूँ मैं तेरी जब कुछ समझ न आये तो मुझे खोल लेना तुम सब खबर रखती हूँ रोज़ एक नया पाठ सबको पढ़ाती हूँ मुझसे कुछ भी छिप न पता ...

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