1 भाग
322 बार पढा गया
18 पसंद किया गया
आंखों में कुछ और भी है इन *आंखों में कुछ और भी है* मगर दिखता नहीं। ऐ साहिब, तेरे रूप के सिवा कुछ और जंचता नहीं। आखिरी ख्वाहिश है, इनकी बस ...