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विषय-पथिक शीर्षक-सपनों का बनना हमराह हे पथिक! क्यों डगमगाते हैं तेरे कदम, पथ में आएंगे लाख संकट, ना भूलना कभी अपनी डगर। पथ में होंगे लाख शूल, देखकर ना जाना लक्ष्य ...