अबीर

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कविता अबीर राजीव कुमार झा हम रूठकर  कल फूलों को  जब बताएंगे वे धूप में हंसकर प्यार की महक सुबह फैलाएंगे रात रानी की सुगंध से यह अधेरा  चुप हो गया  ...

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