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कविता तुम बिन राजीव कुमार झा तुम बिन मन को अब चैन कहां री सजनी ! यह रूप तुम्हारा जग का अनुपम उजियारा सबकुछ तुमसे पाया प्रेम का आंचल सूरज ने ...