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दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता आचार्य श्री सुदर्शन की जय हो संन्यासी गुरुदेव तुम मेहनत के बारे में कभी हंसकर कहते वयोवृद्ध होकर अब भी साधना में रत रहते आश्रय में सुबह ...