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छंद – दोधक (वार्णिक) २११ २११ २११ २२ हे बजरंग बली बलवाना। अंजनि नंदन शील निधाना।। हे दुख भंजन संकट हारी। राम प्रिये हनुमा शुभकारी।। रावण के तुम ही मद नाशी। ...