दहलीज

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विषय:-- स्वैच्छिक वर्तमान की दहलीज से, अचानक ही, स्मृतियों ने धकेल दिया, मुझे अतीत के अन्धकूप में, उतरता जा रहा हूं.! इधर- उधर, हाथ- पैर मारता, आंखें , फ़ाड़ -फ़ाड़ कर ...

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