लेखनी प्रतियोगिता -31-Oct-2022

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ख्वाब जो आंखों में था  आँखों  मे ही रह गया   मिट्टी का घड़ा था तन इक चोट में ही ढह गया कई  दिनों  से मैं  जो  दिल  में सम्हाले बैठा था  ...

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