1 भाग
262 बार पढा गया
21 पसंद किया गया
ख्वाब जो आंखों में था आँखों मे ही रह गया मिट्टी का घड़ा था तन इक चोट में ही ढह गया कई दिनों से मैं जो दिल में सम्हाले बैठा था ...