गुलज़ार

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गुलज़ार मन की बातें  बताता रहूंगा जिंदगी के रास्ते में तुम दोस्त की तरह मिल गयी कोई कली कुछ हंसकर धूप में चुप हो गयी उसकी सांसों से गुलशन महक रहा ...

अध्याय

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