ये मत समझो

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विषय:-- स्वैच्छिक  ये मत समझो ,घड़ी भूल जाती है। तारीख़ खुद को फिर दोहराती है।।  मानव  जाता  है, काम के वास्ते, शाम को फिर ,अपने घर बुलाती है।। सूरज लगाता चक्कर ...

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