पतझड़

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पतझड़ धूप से भरा  व्याकुल मन  सुबह को निहारता  उसी रास्ते में ठहरकर पूछता जिंदगी की जीत में जो हारता तुम्हें कहां पाकर किसी का मन सबको उसी दुख से यहां ...

अध्याय

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