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शारदीया शरद पूनम की रात में धरती पर चांदनी मुस्कुराती अरी सुंदरी तुम रोज यादों में वो वायदे भुलाती जब भी मुंडेरों पर मौसम तुम्हें देखता सुबह तुम धूप सी इतराती ...