उजाला

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उज अपने मन को  तुमने सुबह संवारा  सूरज इसके बाद बाग में किसे झांकने आया ताजी हवा में किसके मन की सुगंध समायी एक कली उसे देखकर मुस्काई तुम्हारा श्रृंगार सबको ...

अध्याय

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