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कौन हो तुम स्वप्नसुंदरी? ये काम-कमान भौंहें तेरी, अँखिया हैं तोरी कजरारी, अधर हैं तेरे गुलाबों से, केश घनेरे है तोरे जैसे सावन की बदरिया मतवारी लचके कमरिया फूलों की डारी ...