स्वप्न सुन्दरी....

1 भाग

293 बार पढा गया

16 पसंद किया गया

कौन हो तुम स्वप्नसुंदरी? ये काम-कमान भौंहें तेरी, अँखिया हैं तोरी कजरारी, अधर हैं तेरे गुलाबों से, केश घनेरे है तोरे जैसे सावन की बदरिया मतवारी लचके कमरिया फूलों की डारी ...

×